सोमवार, 21 सितंबर 2015

देवदार पे बैठी सफ़ेद चिड़िया




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मुकेश पांडे 
http://mukeshpandey87.blogspot.in/




मैं तुम्हें सोचता हूँ और सफ़ेद हो जाता हूँ,
जैसे किसी देवदार पे बैठी
सफ़ेद चिड़िया एकटक आकाश ताकती रही
और अब इत्मीनान से एक धवल उड़ान भरती है।
जैसे किसी मादक देह की महक से
दूर तक खिल रही हों वादियां,
या किसी बीचों-बीच पत्थर पर
वे श्वेत वस्त्र पवित्र कर देते हों तमाम झरने।
सुनो मैं दूर निकल आया हूँ, बहुत दूर...
यहाँ इस सफ़ेद झील के किनारे
एक दूधिया वृक्ष के ठीक ऊपर
कुछ उजले तारों के छींटे पड़ें हैं,
वहां उस तरफ झील में एक सफ़ेद नाव पर दो प्रेमी बैठे हैं,
कुछ स्वर फूट रहे हैं, कुछ धुनें बह रही है
वो खिलखिलाहट, वो सफेदी चांदनी में घुल रही है
और चाँद अब सफ़ेद हो रहा है..
मैंने अक्सर महसूस किया है कि यदि
प्रेम में साफगोई हो तो वह सफ़ेद हो जाता है।
और देखो
अब एक सफ़ेद साफ़ हवा मुझे घेरे हुए है
जैसे कोई बेदाग़ सी चादर मुझ पे लपेटे हुए है।
ये मीठी बूंदों की रात रानी मेरी देह पर झर रही है,
मेरे होंठों के सेकों से धौलाधार पिघल रहे हैं।
धीरे-धीरे सभी घाव भर रहे हैं
एक नींद बन आई है।
अनंत निर्वात पर चौंधियाता सफेद भर गया है,
हर तरफ से यहाँ अब धुंध घिर आई है
गाढ़ी सफ़ेद...
आह!
"शांति" अगर कहीं प्रत्यक्ष रूप से देखी गयी होगी
तो वह किसी कोमल सीप में रखा उज्जवल मोती रहा होगा,
जिसे कुछ कहना नहीं होता बस उस गर्भ में रहना होता है।
प्रेमी एक असली बैरागी होता है,
प्रेमिका एक माँ जिसे उसकी प्रगाढ़ता में उसे पढ़ना होता है।
और सुकून.....
यह एक सूखा हुआ पत्ता है
जिसे वृक्ष से झर कर उसके कमलों में रहना है।
यह एक झरा हुआ पंख है
जो आकाश से उतरा है और मेरी हथेली पे ठहरा है।
सुनो मैं दूर निकल आया हूँ, बहुत दूर..
यहाँ हर तरफ प्रार्थनाएं हैं
और शब्दों ने अपने हिस्से का प्रकाश खोज लिया है,
यहाँ दूर तक उजाला फैला हुआ है.
सफ़ेद...
यहाँ एक श्वेत वस्त्रधारी ब्राह्मणी गुलबहार चुन रही है,
और उस देवदार पर वो सफ़ेद चिड़िया आकाश ताक रही है..
सुनो मैंने महसूस किया है कि
सफ़ेद इन्द्रधनुष का एक ज़रूरी रंग होगा।

गुरुवार, 10 सितंबर 2015

चाहत जीने की





दिगम्बर नासवा 
मेरा फोटो
स्वप्न स्वप्न स्वप्न, सपनो के बिना भी कोई जीवन है ...


बेतरतीब लम्हों की चुभन मजा देती है ... महीन कांटें अन्दर तक गढ़े हों तो उनका मीठा मीठा दर्द भी मजा देने लगता है ... एहसास शब्दों के अर्थ बदलते हैं या शब्द ले जाते हैं गहरे तक पर प्रेम हो तो जैसे सब कुछ माया ... फूटे हैं कुछ लम्हों के बीज अभी अभी ...

टूट तो गया था कभी का
पर जागना नहीं चाहता तिलिस्मी ख्वाब से
गहरे दर्द के बाद मिलने वाले सकून का वक़्त अभी आया नही था

लम्हों के जुगनू बेरहमी से मसल दिए
कि आवारा रात की हवस में उतर आती है तू
बिस्तर की सलवटों में जैसे बदनाम शायर की नज़्म
नहीं चाहता बेचैन कर देने वाले अलफ़ाज़
मजबूर कर देते हैं जो जंगली गुलाब को खिलने पर

महसूस कर सकूं बासी यादों की चुभन
चल रहा हूँ नंगे पाँव गुजरी हुयी उम्र की पगडण्डी पे
तुम और मैं ... बस दो किरदार
वापसी के इस रोलर कोस्टर पर फुर्सत के तमाम लम्हों के साथ

धुंए के साथ फेफड़ों में जबरन घुसने की जंग में
सिगरेट नहीं अब साँसें पीने लगा हूँ
खून का उबाल नशे की किक से बाहर नहीं आने दे रहा

काश कहीं से उधार मिल सके साँसें
बहुत देर तक जीना चाहता हूँ जंगली गुलाब की यादों में 

शुक्रवार, 4 सितंबर 2015

असफल प्रेम के बाद









अंजू शर्मा 
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जेहन में घुली नीम सी कड़वाहटें
वजूद में बढ़ती उदासियों की गलबहियां
अवसाद से शामों की बढ़ती मुलाकातें
ये तय करना मुश्किल है पहले कौन मरता है
प्रेम या सपने

प्रेम की दुनिया में पहले कदम और
जीवन में बसंत की आमद
का हर बार समानार्थी होना
जरूरी तो नहीं

वैवाहिक जीवन का
अगर होता कोई गेट पास
तो अनुभवों का माइक्रोस्कोप भी नहीं ढूंढ
सकता इस पर गारंटी या वारंटी

यह हर बार मुमकिन नहीं
कि मधुमास सदा घोल दे जीवन में
मधु भरे लम्हों का स्वाद
रिस जाता है मधु कलश
कभी कभी मास बीतने से ठीक पहले

प्रेम बदलता है समझौतों
की अंतहीन फेहरिस्त में
उम्मीदें लगा लेती हैं
छलावे का मुखौटा
सपने उस ट्रेन से हो जाते हैं
जो रेंगती है अनिश्चितता की पटरी पर
ढोते हुये तमाम डर और शंकाएँ
और नज़रों के ठीक सामने होते हैं
लौटने के तमाम धूमिल होते रास्ते

इस सफर में हर रात थोड़ा थोड़ा
पिघलती है मोम बनकर एक औरत
चुप्पी की कायनात से बाहर एक-एक कदम बढ़ाती
वह एक दिन झड़का देती है आत्मा से चिपकी बेबसी और लाचारी
आईने में खुद को चीन्हती
एक दिन उतार फेंकती है
स्वांग का लबादा
अपने भीतर से उगल देती है सारी आग
कि उसके हवाले कर सके उस ढेर को
जिन्हे कभी प्रेमपत्र कहा था

ठोकर पर रखती है कायनात
अपनी सालों पुरानी तस्वीर से बोलती है
"गुड मॉर्निंग"
तलाशती है अपने नाम का एक उगता सूरज
थामती है एक बड़ा सा कॉफी मग
और जहां खत्म हो जाना था दुनिया को
वही से शुरू होता है एक औरत का
अपना संसार ............